(4 सितंबर,
2010 तक के संशोधनों को शामिल करते हुए)
1. नाम
संगठन का नाम पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) होगा।
2. उद्देश्य और लक्ष्य
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज उन सभी लोगों को एक साथ लाने का प्रयास करेगा जो भारत में नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा और संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध हैं,
भले ही देश के लिए उपयुक्त राजनीतिक और आर्थिक संस्थानों के संबंध में उनके बीच कोई मतभेद हो।
संगठन के उद्देश्य और लक्ष्य होंगे:
i.
शांतिपूर्ण तरीकों से पूरे भारत में नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक जीवन शैली को बनाए रखना और बढ़ावा देना;
ii.
व्यक्ति की गरिमा के सिद्धांत को मान्यता दिलाना;
iii.
दंड कानूनों और आपराधिक प्रक्रिया की निरंतर समीक्षा करना ताकि उन्हें मानवीय और उदार सिद्धांतों के साथ सामंजस्य में लाया जा सके;
iv.
निवारक निरोध सहित सभी दमनकारी कानूनों को वापस लेने और निरस्त करने के लिए काम करना;
v.
विचार की स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करना और सार्वजनिक असहमति के अधिकार की रक्षा करना;
vi.
प्रेस की स्वतंत्रता और रेडियो तथा टेलीविजन जैसे जनसंचार माध्यमों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना;
vii.
कानून के शासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित करना;
viii.
गरीबों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराना;
ix.
नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए कानूनी सहायता उपलब्ध कराना;
x.
न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए काम करना ताकि अत्यधिक देरी को दूर किया जा सके,
भारी खर्चों को कम किया जा सके और असमानताओं को समाप्त किया जा सके;
xi.
जेल सुधार लाना;
xii.
पुलिस की ज्यादतियों और थर्ड डिग्री पद्धति के इस्तेमाल का विरोध करना;
xiii.
धर्म,
नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर पुलिस द्वारा किए जाने वाले भेदभाव का विरोध करना;
xiv.
अस्पृश्यता,
जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसी सामाजिक बुराइयों का मुकाबला करना जो नागरिक स्वतंत्रता पर अतिक्रमण करती हैं;
xv.
समाज के कमजोर वर्गों और महिलाओं और बच्चों की विशेष रूप से नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा करना;
xvi.
वे सभी कार्य और चीजें करना जो उपरोक्त उद्देश्यों और उद्देश्यों के लिए आवश्यक,
सहायक या प्रासंगिक हो सकती हैं।
3.
सदस्यता के मानदंड
क) प्रत्येक वयस्क व्यक्ति संगठन का सदस्य बनने के लिए पात्र होगा यदि वह मानता है कि भारत में नागरिक स्वतंत्रता को अभी और भविष्य में बनाए रखा जाना चाहिए, चाहे देश में कोई भी आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन क्यों न हो।
ख) राजनीतिक दलों के सदस्य अपनी व्यक्तिगत क्षमता में संगठन के सदस्य होने के हकदार होंगे यदि वे इसके उद्देश्यों से सहमत हैं और इसमें शामिल होना चाहते हैं। उन्हें सदस्यता के सभी अधिकार होंगे सिवाय इसके कि:
i.
संगठन या इसकी किसी भी शाखा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, अन्य सचिव और कोषाध्यक्ष किसी भी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं होंगे।
ii.
राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति और राज्य और स्थानीय स्तर पर संबंधित निकायों के कम से कम आधे सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जो किसी भी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हैं।
iii.
राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति और राज्य और स्थानीय स्तर पर संबंधित निकायों के 10% से अधिक सदस्य किसी एक राजनीतिक दल के सदस्य नहीं होंगे।
ग) सदस्यता शुल्क रु 50/- प्रति वर्ष, जो वर्ष में एक बार लिया जाएगा। विद्यार्थी सदस्य और गैर-कमाऊ सदस्य जो 25 वर्ष से कम आयु के हैं, वे 10/- रुपये प्रति सदस्य शुल्क का भुगतान कर सकते हैं। प्रत्येक स्तर पर कार्यकारी समितियाँ समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, जैसे कि मजदूर और किसान, से 10/- रुपये प्रति वर्ष की सदस्यता शुल्क पर लोगों को प्रवेश देने की हकदार होंगी।
घ) जो लोग एकमुश्त 1000/- रुपये का भुगतान करते हैं, वे आजीवन सदस्य होंगे। जो लोग 2000/- रुपये का भुगतान करते हैं, वे संगठन के संरक्षक सदस्य होंगे।
इ) राष्ट्रीय परिषद को दो-तिहाई बहुमत से किसी भी व्यक्ति को सदस्यता देने से मना करने या किसी व्यक्ति को सदस्यता से हटाने का अधिकार होगा। किसी राज्य शाखा की परिषद को संबंधित राज्य में ऐसा ही अधिकार होगा।
3
(क) संस्थागत सदस्य
व्यक्तिगत सदस्यों के अलावा संस्थागत सदस्य भी हो सकते हैं। सभी स्वैच्छिक समूह और संस्थाएं (परन्तु राजनीतिक दल या उनसे सम्बद्ध समूह नहीं) जो पीयूसीएल के उद्देश्यों से सहमत हैं और इसमें शामिल होना चाहते हैं, राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति द्वारा निर्धारित अनुपूरक नियमों के अनुसार संस्थागत सदस्य बनने के हकदार होंगे (अंत में देखें)।
4.
राष्ट्रीय अधिवेशन
i.
संगठन का राष्ट्रीय अधिवेशन दो वर्ष में एक बार आयोजित किया जाएगा।
ii.
राष्ट्रीय अधिवेशन संगठन के कार्यों की समीक्षा करेगा तथा भविष्य के लिए नीतियां और कार्यक्रम निर्धारित करेगा।
5.
राष्ट्रीय परिषद
I.
राष्ट्रीय परिषद वर्ष में कम से कम एक बार बैठक करेगी। (4 सितम्बर 2010 को राष्ट्रीय परिषद द्वारा 'वर्ष में दो बार' के स्थान पर संशोधित)
II.
राष्ट्रीय परिषद राष्ट्रीय अधिवेशन द्वारा अपनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों के अनुरूप संगठन की नीति और कार्यक्रम निर्धारित करेगी।
III.
राष्ट्रीय परिषद आगामी कार्यकाल के लिए अध्यक्ष, एक या अधिक उपाध्यक्ष, एक या अधिक महासचिव, अन्य सचिव और कोषाध्यक्ष का चुनाव करेगी, जो खंड 7(2) में निर्धारित एक या अधिक होंगे।
6.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति
i.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति राष्ट्रीय अधिवेशन और राष्ट्रीय परिषद द्वारा अपनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों के अनुरूप संगठन के विकास और कार्य की देखभाल करेगी।
ii.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति भारत के प्रत्येक राज्य में संगठन की शाखाओं के गठन को बढ़ावा देगी।
iii.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति दो राष्ट्रीय अधिवेशनों और राष्ट्रीय परिषद की बैठकों के बीच के अंतराल के दौरान संगठन की नीतियों और कार्यक्रमों को बढ़ावा देगी।
7.
राष्ट्रीय निकायों का चुनाव और गठन, राष्ट्रीय अधिवेशन का आह्वान
I.
अगले राष्ट्रीय अधिवेशन से कम से कम छह महीने पहले महासचिव सभी राज्य शाखाओं को लिखेंगे कि उन्हें राष्ट्रीय परिषद के लिए अपने-अपने राज्यों के प्रतिनिधियों का चुनाव करना चाहिए, अधिमानतः सर्वसम्मति से। राज्यों द्वारा चुने जाने वाले सदस्यों की संख्या महासचिव द्वारा उन्हें राज्य में पीयूसीएल की कुल सदस्यता के अनुपात में बताई जाएगी, जो महासचिव द्वारा राज्य शाखाओं को उपर्युक्त पत्र भेजे जाने के समय राष्ट्रीय कार्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार होगी। इन नामों के अलावा, राज्य शाखा का महासचिव राष्ट्रीय परिषद का पदेन सदस्य होगा। राज्य के प्रतिनिधियों के नाम पीयूसीएल के महासचिव को उनके पत्र की प्राप्ति के दो महीने के भीतर बताए जाएंगे। (राष्ट्रीय अध्यक्ष और महासचिव, यदि आवश्यक हो, तो राष्ट्रीय परिषद/राष्ट्रीय कार्यकारी समिति में कुछ सदस्यों को नामित कर सकते हैं)।
II.
पीयूसीएल के वर्तमान अध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियों का कार्यकाल समाप्त होने से कम से कम तीन माह पूर्व, राष्ट्रीय परिषद की बैठक, जिसमें राज्य महासचिव सहित राज्यों के प्रतिनिधि तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महासचिव द्वारा मनोनीत व्यक्ति (यदि कोई हो) शामिल होंगे, पीयूसीएल के महासचिव द्वारा अध्यक्ष के परामर्श से निर्धारित स्थान पर आयोजित की जाएगी। राष्ट्रीय परिषद की यह बैठक सर्वसम्मति के आधार पर तथा यदि आवश्यक हो तो मतों के आधार पर, अगले राष्ट्रीय अधिवेशन की तिथि से प्रारंभ होने वाले अगले कार्यकाल के लिए धारा 5(सी) में उल्लिखित पदाधिकारियों का निर्णय करेगी।
III.
राष्ट्रीय परिषद की उक्त बैठक में पीयूसीएल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का भी चुनाव किया जाएगा, जिसमें अध्यक्ष, महासचिव, अन्य पदाधिकारी, सभी पूर्व अध्यक्ष तथा ऐसे अन्य सदस्य शामिल होंगे, जिन्हें राष्ट्रीय परिषद द्वारा सर्वसम्मति से तय किया जाएगा या राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महासचिव द्वारा मनोनीत किया जाएगा।
IV.
निवर्तमान अध्यक्ष राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति दोनों का पदेन सदस्य होगा।
V.
राष्ट्रीय परिषद की उक्त बैठक राष्ट्रीय अधिवेशन का स्थान और तिथि भी तय करेगी। राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति विषय समिति के रूप में कार्य करेगी और राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले की तिथि को अधिवेशन में विचार-विमर्श किए जाने वाले प्रस्तावों आदि पर निर्णय लेने के लिए बैठक करेगी। पीयूसीएल के जो सदस्य कोई प्रस्ताव प्रस्तुत करना चाहते हैं, वे अधिवेशन की प्रस्तावित तिथि से एक माह पूर्व महासचिव को प्रस्ताव भेजेंगे।
8.
राज्य और जिला शाखाएँ
I.
महासचिव की स्वीकृति से, जो इस मामले में अध्यक्ष के परामर्श से कार्य करेंगे, किसी भी राज्य के सदस्य राज्य शाखा स्थापित कर सकते हैं।
II.
जहाँ तक संभव हो, पीयूसीएल के महासचिव के परामर्श से, उनके कामकाज और चुनावों के लिए राज्य और जिला स्तर पर एक ही पैटर्न अपनाया जाएगा।
III.
शाखा की राज्य परिषद और राज्य कार्यकारिणी समिति का चुनाव, जहां तक संभव हो, महासचिव के परामर्श से, उपरोक्त धारा 7 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किया जाएगा।
IV.
उपरोक्त धारा 4, 5, 6 और 7 के अनुरूप प्रावधान राज्य सम्मेलन, राज्य परिषद, राज्य कार्यकारिणी समिति और राज्य शाखा के पदाधिकारियों को नियंत्रित करेंगे।
V.
किसी भी राज्य में एकत्रित सदस्यता शुल्क में से एक तिहाई राष्ट्रीय कार्यालय को भेजा जाएगा और दो तिहाई राज्य शाखा के पास रहेगा और संबंधित जिला शाखा के साथ समान रूप से साझा किया जाएगा।
VI.
आजीवन सदस्यों और संरक्षक सदस्यों के मामले में, राशि का 40% राष्ट्रीय कार्यालय को भेजा जाएगा। केंद्रीय कार्यालय में सीधे नामांकित ऐसे सदस्यों की पूरी राशि वहीं रखी जाएगी।
9.
अनुपूरक नियम
संगठन के लिए अनुपूरक नियम राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा आवश्यकतानुसार बनाए जाएंगे।
10.
संशोधन
राष्ट्रीय परिषद, सिवाय संगठन के उद्देश्यों और लक्ष्य तथा उपरोक्त खंड 3(ए) में निर्दिष्ट सदस्यता के मानदंडों के, अपने कुल सदस्यों के बहुमत से इस संविधान के किसी भी भाग को बदलने का हकदार होगी ।